Old school Easter eggs.
फिटर ट्रेड - वर्तमान में हर काम तथा प्रत्येक आवश्यकता को मशीनों द्वारा पूरा किया जाता है इस युग के मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति की कल्पना बिना मशीन के असम्भव है। मानव जीवन पूर्ण रूप से मशीनों पर निर्भर हो चुका है। अतः इस मशीनी युग में आपको पग-पग पर मशीनें-कारखाने एवं वर्कशाप चलते दिखायी देंगे। स्पष्ट है कि इनके निर्माण तथा इनकी मरम्मत आदि के अवसर भी अधिकाधिक उपलब्ध हुए हैं। मशीनों की मरम्मत तथा उसके कल-पुर्ज़े जिनको समय-समय पर निष्क्रिय हो जाने की स्थिति में बदलना पड़ता है वें कल-पुर्जे़ भी किसी न किसी प्रकार की मशीनों द्वारा ही तैयार करके लगाये जाते हैं। परन्तु आधुनिक एवं मशीनी युग में ऐसी तकनीक मौजूद हैं जिनके प्रयोग से आप बड़े से बड़ा कार्य मशीनों के बिना ही कर सकते हैं। फिटर ट्रेड के अन्तर्गत प्रशिक्षणार्थी को इसी तकनीक से परिचित कराया जाता है कि किस प्रकार वह मशीनों द्वारा किये जाने वाले कार्य बिना-मशीनों के सफलता पूर्वक कर सकता है। इस तकनीक से परिचित व्यक्ति किसी भी प्रकार की मशीनों के विभिन्न पाटर््स को बिना किसी मशीन की सहायता के तैयार कर सकता है। इसीलिए कारख़ानों तथा बड़े-बड़े वर्कशाॅपों विशेषकर ऐसे स्थानों पर स्थित कारख़ानों तथा वर्कशाॅप जहाँ उपलब्ध मशीनों के पार्ट्स तुरन्त प्राप्त करना कठिन है वहाँ एक ’फिटर’ की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है क्योंकि वह टूट जाने या निष्क्रिय पार्ट्स को अपनी महारत से अविलम्ब तैयार कर मशीन को पुनः एवं शीघ्र चालू करने में सहायक होता है जिससे कार्य का हनन नहीं होता है तथा कार्य के अभाव में बड़ा नुक़सान होने से बच जाता है। फिटर ट्रेड़ के प्रशिक्षण के उपरान्त ट्रेनी निम्नलिखित कार्य करने में पूर्ण रूप से सक्षम हो जाता है। विभिन्न प्रकार की मशीनों विशेषकर लेथ-मशीन (ख़राद-मशीन) पर कार्य करने का अनुभव एवं उसकी मरम्मत व रख-रखाव का काम सीख जाता है। किसी भी मशीन के नाकारा एवं निष्क्रिय पार्ट को अति-शीघ्र तैयार करके मशीन को पुनः तैयार करके मशीन को पुनः चालू कर सकता है। वह डाई बना सकता है तथा समस्त प्रकार की पाइप-फिटिंग कर सकता है। गैस का चूल्हा, स्टोव, हैण्ड-पाइप, बाॅक्स, अलमारी एवं अन्य घरेलू सामान की रिपेयरिंग तथा निर्माण कर सकता है। सिलाई मशीन, ड्रिल मशीन, लेथ मशीन, ग्राइन्डिंग मशीन तथा अन्य दैनिक प्रयोग की मशीनों की मरम्मत कर सकता है।